विज्ञान की नई शाखा क्वांटम की खोज कैसे हुई
ये बात उस समय की है जब फिजिक्स ने लगभग सबकुछ खोज लिया था , electricity , magnet , force , work , light , optics etc...
और दुनिया के कुछ चुनिंदा प्रश्न बचे थे जिन्हें उंगली से गिना जा सकता था , लोग सोचते थे जिस दिन ये भी सॉल्व हो जायेंगे हम पूर्ण हो जायेंगे
इसी तरह का एक प्रश्न था Quantum (सबसे छोटा ) जो आज फिजिक्स और कैमिस्ट्री की ब्रांच बन चुका है
सभी प्रमुख वैज्ञानिकों की कान्फ्रेंस का आयोजन हुआ जिसमें मेरे फेवरेट श्रोणिंगर , आंइस्टीन , नील्स बोर , मैक्स प्लांक आदि ने भाग लिया
इलेक्ट्रोन की खोज को लेकर हाइजेनबर्ग अपना अनिश्चित्ता का सिद्धांत प्रतिपादित करके एकदूर टापू पर गुमनामी में जाकर बस गये जहां उन्होंने अपने अंतिम समय को काटा
हाइजेनबर्ग के अनुसार इलेक्टॉन की गति और स्थिति को एक साथ नहीं नापा जा सकता जैसे हम समय और उर्जा के बीच कोई संबंध नहीं देखते यानि इनके सफल निष्कर्ष में हमेशा अनिश्चित्ता रहेगी यही कांसेप्ट को श्रोणिंगर ने आधार बनाकर क्वांटम थ्योरी के कुछ सिद्धांत लिखे जिस पर मौहर नील्स बोर ने लगा दी , कभी कभी तो लगता है नील्स बोर भगवान थे जो सबकुछ जानते थे और श्रेय दूसरे वैज्ञानिकों को दे रहे थे और श्रोणिंगर ने प्रायिक्ता (probability ) का फ्रेम वर्क डिजायिन किया की हम ये तो जानते है इलैक्ट्रॉन है क्योंकि हम उसकी उर्जा को महसूस कर सकते है लेकिन परमाणू में कहां , इसका केवल अनुमान लगा सकते है क्योंकि इलेक्टॉन एक गतिशील कण है और अनिश्चित्ता का सिद्धांत भी इसकी व्याख्या करता है
आंइस्टीन नें इस बात को मानने को तैयार ही नहीं था उसकी बड़ी लम्बी और सार्थक बहस नील्स बोर केक साथ हो गयी , उसका कहना था परमात्मा ने दुनिया कुछ नियम और सिद्धांतो पर बनाई है ऐसा नहीं कि यह पासे का खेल है इसबार फेंका 2 आया , दूसरी बार फेंका 6 आया , परमात्मा के जगत में कोई संभावना या प्रायिक्ता नहीं होती
और आइंटस्टीन इस कांफ्रेंस में " God do not play dice !" के अपनी अंतिम वाक्य के साथ बहस छोड़कर भाग गया
यह अलवर्ट आइंस्टीन की पहली पराजय थी आज क्वांटम के उन्ही सिद्धांतो ने फिजिक्स को इतने प्रश्न दे दिये है कि अब लगता है शायद यही विज्ञान की शुरूआत है
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